NOT KNOWN FACTUAL STATEMENTS ABOUT पारद शिवलिंग क्या होता है

Not known Factual Statements About पारद शिवलिंग क्या होता है

Not known Factual Statements About पारद शिवलिंग क्या होता है

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सावन में भगवान शिव को चढ़ाएं बेलपत्र पर बरतें ये सावधानियां नर्मदेश्वर शिवलिंग को सर्वाधिक शक्तिशाली और पवित्र क्यों माना जाता है ?

वैसे तो नर्मदेश्वर शिवलिगं श्रेणी के शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठा की जरूरी नहीं होती है और पारद शिवलिंग भी अपने आप में एक पवित्र लिंगम है पर फिर भी शिवलिंग को घर में स्थापित करने से पहले उसकी भली प्रकार पूजा अर्चना किया जाना बहुत आवश्यक है। आइये जानते है किसी भी पारद शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा

पारद शिवलिंग मंत्र : पारद शिवलिंग की पूजा कैसे की जाती हे?

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- शिवलिंग की पूजा उपासना शिव पूजा में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है.

Parad Shivling has the special power to evoke the power of Goddess Saraswati. Small children are blessed using this electrical power to choose curiosity in what they see and study what is useful and discard what is undesired. Worshiping the ling on Mondays will convey great deal of alterations: in provider, prosperity, relationships, well being psychological and physical, corrects building abnormalities – Vaastu Dosha.

प्रेरक कथा: बूढ़े ने एक लड़के here से कहा कि मेरी गठरियों को उठाने में मदद करो, इन्हें दूसरे गांव तक पहुंचा दो, इनमे सोने-चांदी के सिक्के हैं, मैं बदले में तुम्हें दो सिक्के दूंगा

मंदिर में शिवलिंग रखने के लिए उसके आकार को ध्यान में रखना जरूरी नहीं है जबकि घर पर शिवलिंग को रखने के लिए यह ध्यान रखना बेहद ही आवश्यक यही कि वह शिवलिंग अंगूठे के आकर से बड़ा न हो। इसके पीछे की ख़ास वजह यह है कि शिवलिंग एक अग्नि स्तम्भ माना जाता है और इस कारण यदि बड़े आकार का शिवलिंग घर में रखा जाए तो उसमें समाहित वह ज्वलंत शक्ति विनाशकारी साबित हो सकती है।

साथ ही इसका आकार आपके अंगूठे के ऊपर वाले पोर से ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए।

पारद शिवलिंग काफी लाभकारी होती है इसीलिए जो भी व्यक्ति शिवलिंग की पूजा करता है नकारात्मक शक्तियां उससे दूर रहती हैं।

पारद श्री यंत्र की स्थापना से पूर्व श्री यंत्र मन्त्र “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नम:” और “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री ॐ महालक्ष्म्यै नम:” का जाप करें।

दोनों ही शिवलिंग अपने आप में महत्वपूर्ण और पूजनीय हैं। पारद शिवलिंग को भगवान शिव का साक्षात् स्वरूप माना जाता है, जबकि स्फटिक शिवलिंग को स्वयंभू रूप माना जाता है। पारद शिवलिंग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और ग्रह दोषों को कम करने में सहायक माना जाता है, वहीं स्फटिक शिवलिंग मन को शांत करने और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में सहायक होता है। आप अपनी आवश्यकताओं और पूजा पद्धति के अनुसार इनमें से किसी एक शिवलिंग को चुन सकते हैं।

स्थापना से पूर्व जगह को सही से साफ़-सफाई कर उसपर गंगाजल का छिड़काव करते हुए पवित्र करें।

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